Home हेरिटेज किस्सा रायपुर का फिलिप्स मार्केट बन गया जवाहर बाजार

रायपुर का फिलिप्स मार्केट बन गया जवाहर बाजार

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साल 1867 में रायपुर को नगर पालिका का दर्जा मिला। आज के मालवीय रोड को उस समय अंग्रेजों के जमाने में एक अंग्रेज अफसर बेंसली के नाम पर बेंसली रोड, बाद में मॉल रोड कहते थे। आजादी के बाद अंग्रेजों के नाम वाले सड़कों-स्थानों का नाम बदला जाने लगा। इसी तारतम्य में इस रोड को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं.मदन मोहन मालवीय के नाम पर इस मार्ग को मालवीय रोड कहा जाने लगा और आज भी हम इस रोड को मालवीय रोड के नाम से जानते हैं।

मालवीय रोड स्थित जवाहर बाजार का इतिहास सौ साल से भी अधिक पुराना है। रायपुर डिस्ट्रिक्ट गजेटियर में इस बात का जिक्र है कि 1909 में यहां फिलिप्स बाजार लगता था। दिलचस्प बात है कि आज भी यहां के दुकानों के बिजली बिल फिलिप्स मार्केट के नाम से आते हैं। रायपुर नगर निगम में यह आज भी फिलिप्स मार्केट के नाम से दर्ज है। आप अपनी पुरानी पीढ़ी के लोगों से चर्चा करेगें तो वे बतायेगें कि नगर निगम भवन से फिलिप्स मार्केट तक सायकिल की रिपेयरिंग, बेचने और किराए पर देने की दुकानें हुआ करती थीं। उस समय के लोगों के पास किसी तरह का परिचय पत्र नहीं हुआ करता था। ऐसे में किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति का परिचय बताकर लोग किराए में साइकिल ले जाया करते थे। यहां लोग फल-सब्जियां खरीदते थे। अंग्रेजी शासनकाल में रायपुर में बने दफ्तर में सरकारी अधिकारी-कर्मचारी बैठते थे। यहां टैक्स जमा करने, जमीन से जुड़े मामलों को सुलझाने आसपास के राजा, जमींदार, पटेल और महाजन शहर आते थे। यहां दूसरे राज्य के अंग्रेज अधिकारी भी बैलगाड़ी, तांगे, घोड़े पर सवार होकर आते थे। उस समय यहां पर एक खाली मैदान हुआ करता था, जिसमें जानवरों को आराम के लिए बांध दिया जाता था। समय पर काम न होने के कारण कभी-कभी उन्हें कुछ दिन यहां रूकना भी पड़ता था।

ठहरने की व्यवस्था न होने के कारण और सारंगढ़ स्टेट को पहचान दिलाने के लिए वहां के राजा जवाहिर सिंह ने 1940 में फिलिप्स बाजार को बाड़े के रूप में तैयार करवाया। बाड़े की सुरक्षा के लिए राजा ने भव्य द्वार और बाउंड्रीवॉल बनवाया। द्वार मूलत: मुस्लिम और औपनिवेशिक कला एवं आर्किटेक्चर का मिश्रित रूप है। बाड़ा बनते ही वहां जरूरत के सामान की छोटी-छोटी दुकानें लगने लगीं। तब यहां के बाजार को जवाहिर बाजार और गेट को जवाहिर गेट कहा जाने लगा। कालांतर में जवाहिर वर्तनी की सरलता के कारण लोगों में जवाहर नाम से प्रसिद्ध हो गया। कई लोग जानकारी न होने के कारण इसे जवाहर लाल नेहरू वाला जवाहर भी समझ जाते हैं। यहां पर लंबे समय से चल रहे थोक फल मार्केट को कुछ साल पहले लालपुर स्थानांतरित किया गया है। वर्तमान में स्मार्ट सिटी और नगर निगम ने हेरिटेज मानकर इस गेट को सहेजा और जीर्णोद्धार करवाया है।

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