नक्सलवाद को करारा जवाब : बस्तर की पहचान नक्सल प्रभावित इलाकों में होती आई है , लेकिन इसी बस्तर के लोग लगातार नक्सलवाद को करारा जवाब दे रहें है, ये हम नहीं बल्कि पिछले चुनावों के आंकड़े बता रहें है, कि कैसे बस्तर लगातार लोकतंत्र में अपने बढ़ते मतदान प्रतिशत से एक नए आयाम स्थापित कर रहा ह
चार लोकसभा चुनावों से बढ़ रहा मतदान
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर के क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। पिछले चार लोकसभा चुनाव के आंकड़े ये बताते हैं, कि किस तेजी से लोगों की जागरुकता मतदान के प्रति बढ़ी है। और यहां के लोग लोकतंत्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझ रहें हैं। वर्ष 2004 में जहां 43.33 प्रतिशत मतदान हुआ था। वहीं, 2019 में 66.19 प्रतिशत वोट पड़े। 2023 के विधानसभा चुनाव में भी बस्तर विधानसभा सीट पर सबसे अधिक 84.67 प्रतिशत और सबसे कम बीजापुर में 48.37 प्रतिशत मतदान हुआ था। निर्वाचन आयोग के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है और लोगों में जागरूकता बढ़ी है। चुनाव आयोग भी लंबे समय से लोगों को मतदान के अधिकार के लिए जागरूक करता आ रहा है। बस्तर के युवा और यहां के किसान अब विकास की बात करने लगे हैं, बस्तर का युवा भी अब सुविधाओं की मांग करने लगा है। लोगों को ये पता चल गया है, कि जब उनकी चुनी हुई सरकार और चुने हुए प्रतिनिधि होंगे, तभी उनका और बस्तर का विकास हो पाएगा। बस्तर में 2024 के लोकसभा चुनाव में रिकार्ड मतदान दर्ज किया गया है।
जागरूक कौन?
लोकसभा चुनाव 2024 में बस्तर में मतदान बढ़कर 68.30 प्रतिशत पहुंच गया। नक्सल प्रभावित होने के बाद भी बस्तर की जनता लगातार लोकतंत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रही है। तो वहीं ठीक इसके विपरित शहर के लोग मतदान में सुस्ती दिखा रहे हैं, ज्ञात हो कि, हाल ही में 2023 के विधानसभा चुनाव में राजधानी रायपुर में सबसे कम मतदान हुआ था।ऐसे में सवाल उठता है, कि शहर के लोग जागरूक हैं या दूर सुदूर के ग्रामीण।