मैं तेरे पेड़ का एक पत्ता बनूँगा
’’माँ’’ मैं हर जनम तेरी बेटी या बेटा बनूँगा… जैसे शानदार कविताओं से काव्य गोष्ठी की शुरूवात हुई, जिसने श्रोताओं का दिल जीत लिया।
रायपुर: सिविल लाइंस स्थित वृंदावन हाल में साहित्य सृजन संस्थान के द्वारा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से आए कवियों ने अपनी कविताओं से समां बांधा,कार्यक्रम में कवियों के द्वारा एक से बढ़कर एक शानदार प्रस्तुति दी गई। कवियों की प्रस्तुति पर मौजूद दर्शकों ने तालियां बजाकर उनका प्रोत्साहन किया।
काव्य संध्या में अंचल के प्रतिष्ठित कवियों द्वारा काव्य पाठ की कुछ झलकियां…..
माँ’’ मैं हर जनम में, तेरी बेटी या बेटा बनूँगा,
तू चींटी बनकर देख, मैं तेरी नन्हीं चींटी बनूँगा।
’माँ’’ तू एक बार पेड़ बनकर देख
मैं तेरे पेड़ का एक पत्ता बनूँगा
माँ’’ मैं हर जनम तेरी बेटी या बेटा बनूँगा।
नीलम सांखला
महा विस्फोट से पहले असहनीय शांति होती है।
अंधेरा ख़त्म करने को प्रभा की क्रांति होती है।।
शरासन तान वध करने को हैं तैयार राघव भी,
मगर सुग्रीव – बाली – रूप में ही भ्रांति होती है।।
– विवेक भट्ट “आशा परशुराम”
सभी मतलब परस्तों और कुछ फ़नकार लोगों से,
खु़दा महफू़ज़ रक्खे सबको बद किरदार लोगों से,
जो तेरे मुंह प तेरे हैं,जो मेरे मुंह प मेरे हैं,
मुझे नफ़रत है दुनिया के इन्हीं मक्कार लोगों से,
आलिम नक़वी
ख़ुद को बेहद उदास रखते हो..
यानी हर किसी से आस रखते हो..
रखना है सबको पास तुम्हें;
क्या ख़ुद को अपने पास रखते हो.?
अनिल राय
कहता है क्या ज़माना मुझको फ़िकर नहीं है,
अपनी हदें है मालुम गिरने का डर नहीं है।
सच के कबेलू टिकते चाहे लाख तूफाँ आयें,
ओढूँ फ़रेबी चूनर मुझमे हुनर नहीं है।
ममता खरे ‘
इसके अलावा संस्थान की ओर से कार्यक्रम के मुख्य अथिति नीलम चंद सांखला को साहित्य सृजन न्याय रत्न सम्मान एवं श्रेष्ठ रचना कार सम्मान से ऋषि साव,आशा झा,को श्रेष्ठ काव्य पाठ सम्मान” से सम्मानित किया गया। काव्य संध्या में अंचल के प्रतिष्ठित कवियों द्वारा काव्य पाठ की कुछ झलकियां।कार्यक्रम में अजीत शर्मा, योगेश शर्मा, ममता खरे, व अन्य उपस्थित रहें।